संदेश

कविता लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बाल दिवस-बच्चों का प्यारा दिवस(Baal divas-Baccon ka pyaara divas)

चित्र
जिस घर-परिवार में एक बाल-जीवन नहीं किलकारता,वहाँ सभी कुछ उपलब्ध होने के बाद  भी शून्य की ही अनुभूति होती है।जीव के शैश्वावस्था व बाल्यावस्था के दर्शन को सभी जीव लालायित रहते हैं,मानव कितनी भी परेशानी में हो,उसके नवजात की केवल एक किलकारी उसके सारी परेशानियों-पीड़ाओं को हर लेता है। Pita jeevan ko aadhar dete hain बच्चों का प्यारा दिवस-बाल दिवस बच्चों को इस बाल दिवस का बेसब्री से इन्तजार रहता है।इसकी शुरुआत पंडित जवाहर लाल नेहरू ने  सर्वप्रथम अपने जन्म दिवस को इस दिवस के रूप में मनाकर की थी,उन्हें बच्चों से बहुत प्रेम था।  जीव के जीवन की सात अवस्थाएं   इस नश्वर संसार में मानव जन्म पुनः प्राप्त करना अत्यन्त दुर्लभ है,यदि मानव जीवन जीव प्राप्त करता है ,तो उसे इस जीवन के सात अवस्थाओं से होकर गुजरना पड़ता है,जिसमें बाल्यावस्था अत्यन्त महत्वपूर्ण अवस्था है,इसी अवस्था में जीव निष्पाप व निष्कलंक रहता है।  जीव के निष्कलंक होने के कारण उसका जीवन  के  मूल्यों से परिचय करा पाने में सरलता होती है। जीवन का स्वर्णिम काल बाल्यावस्था यह वह अवस्था है जहाँ जीव जीवन का भरपू...

बेटियाँ:-गृह शोभा और समृद्धि(Betiyan :-Grih sobha aur samriddhi)

चित्र
        बेटियाँ :-गृह शोभा और समृद्धि Bhagat singh :-matribhoomi pr nyochchhawar hone waala ek yoddha जिस घर में बेटियाँ होती हैं,वह घर सुन्दर और समृद्ध होता है क्योंकि इन बेटियों से ही घर-परिवार समृद्ध होता है।  शास्त्रों ने भी इस बात को अपना पूर्ण समर्थन देते हुए बताया है कि एक बेटे के सुशिक्षित व संस्कारी होने से केवल एक कुल सुशिक्षित व समृद्ध हो सकता है।   परन्तु यदि इन नन्हीं कलियों को उत्तम शिक्षा व संस्कारों से   पोषित-संपोषित किया जाएगा,तो ये संपोषित-संवर्धित होकर वह पुष्प वाटिका बनेंगी जो समग्र समष्टि को सुवासित करती रहेंगी। इनसे ऐसे नवांकुर फूटेंगे जिससे राष्ट्र को सशक्त,समृद्ध व सुसंस्कारी नागरिक मिलेंगे,जिससे अपना यह प्यारा भारत देश विकास की महायात्रा की ओर अग्रसर हो पाएगा।   एक समृद्ध राष्ट्र के निर्माण के लिए अपना सर्वस्व समर्पित करने वाली राष्ट्रभक्त बेटियाँ  किसी भी राष्ट्र के समृद्ध , सुसंस्कृत व सुविकसित होने में केवल और केवल उस राष्ट्र का ही योगदान नहीं होता,वरन् इसमें महती योगदान उसके नागरिकों का होता है।  व...

साँचि मित्रता पूँजी भाई -मित्रता एक सुधा कलश

चित्र
साँचि मित्रता पूँजी भाई-मित्रता एक सुधा कलश साँचि मित्रता पूँजी है  भाई,सत्य ही तो है सच्ची मित्रता पूँजी के समान ही तो है। जीवन भर किसी ने भले ही धन न कमाया हो,पर यदि उसके एक ही सच्चे मित्र  हों ,जो सुख-दुख में समान भाव से साथ रहे तो उसके जीवन में आने वाली बाधाएँ अपना मार्ग निस्सन्देह बदल ही लेती हैं। सच्ची मित्रता की परिभाषा वह व्यक्ति जो सदैव हमारे साथ अपने अभीष्ट सिद्धि के लिए रहता है,उसे सही अर्थ में मित्र नहीं कहा जा सकता क्योंकि सच्चा मित्र मान-अपमान,ईर्ष्या,द्वेष,लालसा इत्यादि से परे होता है।उसे अपने मित्र की भावनाओं-संवेदनाओं की भली-भाँति ज्ञान होती है। उपरोक्त के आधार पर सच्चे मित्र की यह परिभाषा स्पष्ट होती है कि जो सदैव सुख-दुख में हमारे साथ रहे,जो अपने सुख-दुख के विषय में कम,हमारे विषय में निरन्तर अधिक चिन्तन करे,वही सही अर्थों में हमारे सच्चे मित्र हो सकते हैं।    सच्चा मित्र एक पथ प्रदर्शक  मित्रता एक भाव है जिसे स्पर्श नहीं किया जा सकता,अपितु इसकी अनुभूति की जा सकती है,इसकी नाप-तौल संभव नहीं,पर इसकी अनुभूति हमें असंख्य पुष्पों के सुगन्धि-सी प्...

आसमाँ पे शान से फिर आज लहराए तिरंगा.

चित्र
आसमाँ पे शान से फिर आज लहराए तिरंगा आसमाँ पे शान से फिर आज लहराए तिरंगा। है वतन के सब दिलों में आन से बसता तिरंगा। रंग केवल ये नहीं है आन है ये जान अपनी। असंख्य प्राणों को होम कर प्राप्त हुआ यह अवसर आज जो हम तिरंगा शान से लहराते हैं, उसे लहराने का अवसर हमें लाखों कुर्बानियों,असंख्य प्राणों को होम करने के बाद ही मिला है।  त्याग और बलिदान की भूमि भारत भारत त्याग और बलिदान की भूमि है। हमारे इस स्वर्णिम आज के लिए असंख्य वीरों ने अपने प्राण दिये। हमारा कर्तव्य यह बनता है कि हम सदैव उन महावीरों को स्मरण करते रहें जिनके कारण ही आज फिर शान से हम तिरंगा लहराते हैं। स्वातंत्र्य वीरों को स्मरण न करना उनका अपमान स्वतंत्रता दिवस वह पुनीत पावन अवसर जो हमें असंख्य बलिदानों के पश्चात प्राप्त हुआ है। क्या इसे हमें भेंट करनेवाले उन अमर वीरों को,इस स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वालों में और इसके मूल्य के रूप में अपने प्राण न्योच्छावर करने वाले माँ भारती के वीर सपूतों का वर्णन नहीं करना चाहिए ? क्या आज उनके बारे में वर्णन न करना जिनके कारण आसमाँ पे शान से फिर अपना तिरंगा जो लहरा पा रहा है ,...

अविस्मरणीय स्मृतियां दादाजी-दादीजी की

चित्र
अविस्मरणीय स्मृतियां दादाजी-दादीजी की मनुष्य एक ऐसा प्राणी है जो अपने संबंधों को विशेष महत्व उससे बिछड़ जाने के बाद ही देता आया है,बाद में व्यक्ति विशेष तो चिरनिद्रा में चला जाता है,पर शेष रह जाती है उसकी अविस्मरणीय स्मृतियां.....   दादाजी-दादीजी की वही अविस्मरणीय स्मृतियां जो कभी यथार्थ थी और आज छद्म,छलावा,अवशेष मात्र हैं अनायास ही आज आपसबों से साझा करने की इच्छा हुई।     स्मृतिशेष दादीजी   दादीजी की स्मृतियां तो अत्यंत ही अल्प है जो मेरे जीवन से जुड़ी हुई हैं क्योंकि वो संभवतः जब मैं लगभग पहली या दूसरी कक्षा में पढ़ता था,तभी वो परमधाम को प्रस्थान कर गयी थीं।   हाँ, कुछ एक स्मृतियां शेष हैं जो मैं आपसे साझा करता हूँ:-बाल्यकाल में जब एक शिक्षिका मुझे पढ़ाती थीं और गृहकार्य उचित ढंग से न करने पर दण्डित करती थीं तो दादीजी उनसे केवल यही कहा करती थीं कि मेरा पोता खेत जोत कर खा लेगा,पर ऐसे पिटाई खाकर उसे पढ़ने मैं कभी भी नहीं दे सकती। ए क घटना यह भी थी कि मामा यानि दादीजी को अस्थमा था और उन दिनों यह लाइलाज बीमारी हुआ करती थी तब मैं उनकी एक दवाई मीठी लगने के कारण...