"चुनावी पकौड़े : हज़ूरों के शौक-ए-ज़ाइका"
" चुनावी पकौड़े : हज़ूरों के शौक-ए-ज़ाइक़ा मूसलाधार चुनावी बारिश के मौसम में, चुनावी पकौड़े तलना हज़ूरों के शौक-ए-ज़ाइक़ा का अद्भुत और ज़ाइक़ेदार प्रयोग है। अरे! ध्यान से कहीं ज़ाइक़ा न बिगड़े ! प्रस्तावना जिसने कभी एक ग्लास पानी भी न पूछा हो,वही व्यक्ति जब आपके सुख-दुख बाँटने को लालायित(अत्यंत इच्छुक)दिखे,जगह-जगह और माध्यम-माध्यम से आपको राष्ट्र के प्रति ,विशेषकर आधुनिक जननायकों के प्रति, आपके कर्तव्यों का बोध कराया जाता है तथा जनसभाएं होती रहती है़ं,तो विद्वत समाज को यह समझना चाहिए कि आज गरमा-गरम पकौड़े अवश्य तले जाएंगे, जो चुनावी हैं। इसे महोत्सव की संज्ञा देना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि चहुंओर आधुनिक जननायकों को बरसाती मेंढकों की तरह सबके घरों,सड़कों,सोशल मीडिया इत्यादि में टर्राते हुए देखा जा सकता है। रेसिपी इन लजीज पकौड़ों को बनाने की भई पकौड़े तो सभी ने घरों में बनवाकर बहुत खाए होंगे-एक से एक ज़ाइकेदार,मसालेदार,लजीज व हर दिल अजीज।पर इस पकौड़े की तो बात ही कुछ और है,हो भी क्यों न! मामूली थोड़े ही हैं ये पकौड़े और इस बनाने-बाँटने वा...
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