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प्रबल चाह जो होगी कुछ रचोगे

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प्रबल चाह :-तीव्र इच्छा सृजन की किसी भी कार्य को सफलता से पूर्ण करने के लिए मन में उस कार्य को करने की प्रबल चाह होनी चाहिए।सृष्टि का निर्माण तभी हो पाया जब इसकी अनिवार्यता,हेतु का अनुमान किया गया। Avismaraniya smrityaan dadaji-dadiji ki मनुष्य की महत्वाकांक्षा की पूर्ति तीव्र इच्छा से होती है मनुष्य एक महत्वाकांक्षी प्राणी है ,परन्तु अपने महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए उसमें उसकी प्राप्ति के लिए तीव्र इच्छा होनी आवश्यक है। व्यक्ति अपने भोजन का प्रबन्ध तब तक नहीं कर सकता जब तक उसमें भूख अर्थात भोजन की इच्छा न हो। व्यक्ति अपने भोजन का प्रबंध तब।  तक नहीं कर सकता जब तक उसमें भूख अर्थात भोजन की इच्छा न हो। इस तथ्य को आदिमानव की भोजन प्राप्ति की कथा और अधिक स्पष्ट करती  है,जिसके अनुसार उसे भोजन की प्राप्ति  की तीव्र प्रबलता अर्थात भूख की अनुभूति हुई।   मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता स्वयं मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है जो अपने भाग्य की रचना स्वयं करता है,इसके लिए उसे अपने भाग्य निर्माण,अपनी सफलता-असफलता का निर्धारण स्वयं करते समय एक अनिवार्य तत्व की आवश्यकता होती है,वह है :...