पति व पत्नी : एक महासंग्राम के योद्धा
जीवन यान के दो पहिये :पति व पत्नी परिचय संसार का निर्माण दो विशिष्ट प्राणियों से हुआ है - पुरुष और प्रकृति। इन दोनों के बिना जीवन की आधारशिला रखना संभव नहीं था। यही पुरुष और प्रकृति, जब विवाह के बंधन में बंधते हैं, तो पति और पत्नी के नाम से जाने जाते हैं। इस नए बंधन के बंधते ही उस महासंग्राम का प्रारम्भ होता है जो अंतहीन होता है। यह संग्राम सुतली बम की तरह कभी भी अचानक फट सकता है, जिसे सुलगाने के लिए केवल असुरक्षा की भावना ही काफी होती है। आइए, इस नए संबंध से उत्पन्न होने वाली हास्य फुलझड़ी का आनंद लें और देखें कि कैसे यह पति-पत्नी का महासंग्राम हमें हंसाता है और जीवन को मजेदार बनाता है। मुसीबत का मारा बेचारा पति पति, दो ध्रुवों के बीच फंसा वह विशिष्ट प्राणी है जिसे तमगे के नाम पर हमेशा जद्दोजहद मिलती है। सुख, शांति, अमन और चैन से उसका दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं होता। अव्यवस्थित जीवन यह रिश्ता और मजबूत तब होता है जब वह पति माता-पिता,भाई-बहन व पत्नी के मध्य द्वन्द में फंस जाता है। बेचारा ऊखलवा में कपार फोड़े या ऊखल कपार पे फोड़े घायल हमेशा ऊहै न होवत है जी। मतबल पत्नी की इच्छा पूरी करे...