संदेश

व्यंग्यात्मक आलेख लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अर्जुन उवाच ! -नेता बनना आसान मगर शिक्षक मुश्किल

चित्र
अर्जुन  उवाच ! अर्जुन अथ उवाच-हे मधुसूदन! मुझ अज्ञानी पर कृपा कर यह बताएँ कि भविष्य में क्या नेता बनना आसान और शिक्षक बनना मुश्किल होगा ? श्रीभगवान उवाच ! हे अर्जुन तुम्हारी व्याकुलता व आगामी कलियुगी जगत के लिए चिन्तन को देखकर तुमसे जो कहता हूँ,वह सुनो। भविष्य में जब यह कलियुग पाप के चरमोत्कर्ष की ओर अग्रसर होगा,जब अज्ञान ज्ञान पर हावी होगा तब एक ऐसे जीव की सृष्टि होगी जिसे तत्कालीन समाज 'नेता' कहकर सम्बोधित करेगा,नेता की संज्ञा देगा। इस जीव को चापलूसी व जनरक्तशोखन विद्या में महारत हासिल होगी अर्थात यह महारत ही उसकी योग्यता होगी।  समस्त सृष्टि इस योग्यता प्राप्त जीव के समक्ष नतमस्तक होकर यह कहने विवश हो जाएगा कि,"नेता बनना आसान यहाँ शिक्षक बनना मुश्किल है। शुकः उवाच ! Antariksha vigyaan ke dhadkan-vikram sarabhai भगवान द्वारा अर्जुन को कलियुग के उस संभावी घटनाक्रम के सम्बन्ध में उपदेश देते समय सुनकर एक शुक अर्थात तोता से रहा नहीं गया,जो पास ही के आम के वृक्ष पर बैठा हुआ था।  वह उड़ते-उड़ते भगवान के समक्ष आकर इस प्रकार कहने लगा-"हे भगवन्! मुझ अपराधी,दुस्साहसी को क्ष...

दुल्हा बिकता है

आज समाज में दहेज एक ज्वलंत मुद्दा बना हुआ है,सामान्य तौर पर लोगों ने यह धारणा बना रखी है जो वो खुद नहीं अर्जित कर सके ,वो वह दहेज से पूर्ण करेंगे यानि दुल्हा बिकेगा। विवाह दो आत्माओं का मिलन है,पर इसे आज दहेज लोलुपता ने व्यापार बना दिया है। दुल्हा बिकता है एक विचारने योग्य विषय है,क्या आज पुरुषार्थ क्षीण होता जा रहा। प्राचीनकाल में विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिता की व्यवस्था थी पुरुषार्थ सामर्थय जाँचने की,प्रतियोगिता विजित होने पर ही वर को वरा जाता था,क्या आज दुल्हा बेचने की प्रक्रिया दृष्टिगोचर नहीं हो रही। त्रिदेवों ने जब संसार का निर्माण किया,तो उन्हें सृष्टि को सुचारू रूप से गतिमान रखने के लिए दो ऊर्जा- पूँजों की अनिवार्यता थी,जिसे पुरुष व प्रकृति तथा सरलार्थ में नर और नारी के रूप में हम जानते हैं।     पुरुष व प्रकृति के संयोग से ही यह सृष्टि चक्र गतिमान है।इन दोनों की ही आन्तरिक ऊर्जा के स्पर्श का प्रतिफल है मानव समुदाय की उत्पत्ति।    पुरुष व प्रकृति का एक दूजे से अन्योन्याश्रय संबंध उसी भाँति का है जिस भाँति जल और मछली का,आत्मतत्व व शरीर का।    इस संबं...