अर्जुन उवाच ! -नेता बनना आसान मगर शिक्षक मुश्किल
अर्जुन उवाच ! अर्जुन अथ उवाच-हे मधुसूदन! मुझ अज्ञानी पर कृपा कर यह बताएँ कि भविष्य में क्या नेता बनना आसान और शिक्षक बनना मुश्किल होगा ? श्रीभगवान उवाच ! हे अर्जुन तुम्हारी व्याकुलता व आगामी कलियुगी जगत के लिए चिन्तन को देखकर तुमसे जो कहता हूँ,वह सुनो। भविष्य में जब यह कलियुग पाप के चरमोत्कर्ष की ओर अग्रसर होगा,जब अज्ञान ज्ञान पर हावी होगा तब एक ऐसे जीव की सृष्टि होगी जिसे तत्कालीन समाज 'नेता' कहकर सम्बोधित करेगा,नेता की संज्ञा देगा। इस जीव को चापलूसी व जनरक्तशोखन विद्या में महारत हासिल होगी अर्थात यह महारत ही उसकी योग्यता होगी। समस्त सृष्टि इस योग्यता प्राप्त जीव के समक्ष नतमस्तक होकर यह कहने विवश हो जाएगा कि,"नेता बनना आसान यहाँ शिक्षक बनना मुश्किल है। शुकः उवाच ! Antariksha vigyaan ke dhadkan-vikram sarabhai भगवान द्वारा अर्जुन को कलियुग के उस संभावी घटनाक्रम के सम्बन्ध में उपदेश देते समय सुनकर एक शुक अर्थात तोता से रहा नहीं गया,जो पास ही के आम के वृक्ष पर बैठा हुआ था। वह उड़ते-उड़ते भगवान के समक्ष आकर इस प्रकार कहने लगा-"हे भगवन्! मुझ अपराधी,दुस्साहसी को क्ष...