लाँघ गये सागर हनुमंता(Shri Rambhakti ki vilakshan gatha)
लाँघ गये सागर हनुमंता (Shri Rambhakti ki vilakshan gatha) जब श्रीराम व समस्त वानर सेना लंका के इस पार पहुंचे तो समक्ष सागर देखकर जब सभी चिंतित हो गए तब-सागर"लाँघ गए हनुमंता"। प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त माने जाने वाले भक्त शिरोमणि हनुमान जी ने समक्ष सागर देखकर भी श्रीराम के काज को सफल करने के लिए गहरे सागर को भी लाँघ दिया। श्रीरामचरित्रमानस के अनुसार बाल्यकाल में अपने उग्र स्वाभाव के कारण जब उन्होंने आश्रम में यज्ञ-हवन करने वाले मुनियों को अपने आत्ममुग्ध गुणों से परेशान किया तो उन्होंने उन्हें अपनी उन शक्तियों को भूल जाने का शाप दे दिया, जो उन्हें विभिन्न देवी-देवताओं से वरदान स्वरूप प्राप्त हुआ था। परन्तु, उनके जन्म के उद्देश्य को समझकर उन मुनियों ने उनके शाप निवारण का यह उपाय बताया कि किसी के याद दिलाने पर उनकी सारी शक्तियाँ रामकाज हेतु पुनः प्राप्त हो जाएगी। Matri shaktiye namah phhir danav dal sanhaar karo. भक्ति शिरोमणि हनुमान और उनकी विलक्षण शक्तियाँ अष्ट सिद्धियों व नव निधियों के दाता बजरंगबली जी के पास निम्नलिखित सिद्धियां व निधि...