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Manav jeevan ka shaar:- jeevan mathni(मानव जीवन का सार:-जीवन मथनी)

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Manav jeevan ka shaar Manav jeevan ka shaar यही है कि जो यहाँ जितना अधिक jeevan roopi इस मथनी में मथा जा सका,उसे सफलता प्राप्त करने में उतनी अधिक सरलता हुई।        Jeevan yatra Manav jeevan की यात्रा अनवरत चलती रहती है। निरंतर यह यात्रा तब तक गतिमान रहती है जब तक  यह jeevan yatra अपने विराम की ओर प्रस्थान न कर जाय। इस मृत्युलोक में यह अत्यंत ही विस्मय की बात है कि यहाँ सभी मरणशील हैं। एक न एक दिन सभी को महायात्रा पर जाना ही है,परन्तु  सभी चाहते हैं कोई भी इस महायात्रा पर न जाए। यहाँ बने,निभाए गए संबंध माता-पिता,भाई-बहन,पति-पत्नी इत्यादि के साथ मन इस प्रकार जुड़ जाता है कि कोई भी किसी का विछोह सहन नहीं कर सकता। जीवन यात्रा एक अत्यंत गूढ़ रहस्य है जिसे कोई भी समझ नहीं सकता। इस लोक के पश्चात जीव कहाँ जाता है,किस लोक में वास करता है। पुनः इस मृत्युलोक में किस कारण जन्म लेता है यह अत्यंत ही गूढ़तम रहस्य है। Image Manav jeevan ka shaar Jeevan mathni Jeevan mathni नामक इस साधन में दो पहलू हैं या ...

विनती-ईश्वर शक्ति दो

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आज आए दिन हमें विभिन्न प्रकार की हादसाएँ देखने को मिलती हैं,पुनः हाल के दिनों में हुए बालासोर हादसा ने हमें अन्दर तक झकझोर दिया।   ईश्वर से यही विनती है कि वो पीड़ित परिवारों को इसे स हन करने की शक्ति दे।   ईश्वर कभी भी किसी को इस प्रकार की यातनाएँ न दे और उनके परिजनों को इस अपूर्णीय क्षति को सहने की शक्ति  प्रदान करे। हादसा हादसा यह केवल शब्द नहीं,अपितु भयंकरता को दर्शाने वाले वह तत्व है जिसके स्मरण मात्र से मन विचलित हो उठता है।  जिसके परिवार में ऐसी घटनाएं घटती हैं उसके लिए तो बचता केवल शून्य ही है,मगर देखने वालों के लिए,सुनने वालों के लिए यह एक आम बात होती है। हमारी सोच विडम्बना मात्र नहीं तो और क्या मानव में प्रारम्भ से ही यह गुण व्याप्त है कि वह केवल स्व की चिन्ता करता है,हमारे तो सभी स्वस्थ हैं यह एक विकृत मानसिकता का परिचायक नहीं तो और क्या हो सकता है भला! हमारी यह सोच विडम्बना मात्र न कहा जाय तो और क्या कहा जाए! प्राणों का कोई मोल क्यों नहीं ??? आए दिन होने वाले हादसाओं में किसी न किसी की मृत्यु होती ही है,कभी-कभी ही ऐसा संयोग होता है कि कोई केवल ...