आसमाँ पे शान से फिर आज लहराए तिरंगा.
आसमाँ पे शान से फिर आज लहराए तिरंगा
आसमाँ पे शान से फिर आज लहराए तिरंगा।
है वतन के सब दिलों में आन से बसता तिरंगा।
रंग केवल ये नहीं है आन है ये जान अपनी।असंख्य प्राणों को होम कर प्राप्त हुआ यह अवसर
आज जो हम तिरंगा शान से लहराते हैं, उसे लहराने का अवसर हमें लाखों कुर्बानियों,असंख्य प्राणों को होम करने के बाद ही मिला है।त्याग और बलिदान की भूमि भारत
भारत त्याग और बलिदान की भूमि है। हमारे इस स्वर्णिम आज के लिए असंख्य वीरों ने अपने प्राण दिये।
हमारा कर्तव्य यह बनता है कि हम सदैव उन महावीरों को स्मरण करते रहें जिनके कारण ही आज फिर शान से हम तिरंगा लहराते हैं।
स्वातंत्र्य वीरों को स्मरण न करना उनका अपमान
स्वतंत्रता दिवस वह पुनीत पावन अवसर जो हमें असंख्य बलिदानों के पश्चात प्राप्त हुआ है।
क्या इसे हमें भेंट करनेवाले उन अमर वीरों को,इस स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वालों में और इसके मूल्य के रूप में अपने प्राण न्योच्छावर करने वाले माँ भारती के वीर सपूतों का वर्णन नहीं करना चाहिए ?
क्या आज उनके बारे में वर्णन न करना जिनके कारण आसमाँ पे शान से फिर अपना तिरंगा जो लहरा पा रहा है ,क्या ये उन स्वातंत्रय वीरों का अपमान नहीं है ?
जिन्होंने जीवन के प्रारम्भ के प्रथम चरण में ही केवल आसमाँ पे हमारे तिरंगे को शान से लहराने के लिए इन महावीरों ने निस्वार्थ भाव से स्वयं को माँ भारती के चरणों में समर्पित कर दिया।
स्वातंत्र्य अमृत पान कराने वाली वीरांगनाएं
पुरुष व स्त्री समुदाय द्वारा माँ भारती की सेवा में समभाव से योगदान
भारत देश की सदैव ही यह विशेषता रही है कि ये समभाव को प्राथमिकता देती है,इसकी यही विशेषता इसे महान बनाती है।माँ भारती के सम्मान व संरक्षण के लिए जहाँ पुरुषसमुदाय ने अपना महती योगदान दिया है,वहीं आवश्यकता पड़ने पर इस पुनीत कार्य में अपना योगदान सुनिश्चित करने में नारीशक्ति ने भी कोई कमी नहीं छोड़ी है।नारीशक्ति द्वारा रणचण्डी रूप में आततायियों का अन्त
माँ भारती ने जब-जब इन्हें अपने योगदान हेतु पुकारा है,नारीशक्ति कभी भी पीछे नहीं हटी है।
जब-जब माँ भारती ने आततायियों के अन्त के लिए नारीशक्तियों को स्मृत किया है,वो कभी भी पीछे नहीं हटी है।
उसने बढ़-चढ़कर ही अपना महती योगदान देते हुए दुराचारियों को माँ भारती के दामन को स्पर्श करने पर रणचण्डी बन उनका संहार किया है।
कुछ नारी शक्तियों में रानी लक्ष्मीबाई,सुचिता कृपलानी,सरोजिनी नायडू,बेगम हजरत महल ,लक्ष्मी सहगल,राणी चिनम्मा,दुर्गा भाभी इत्यादि के साथ अन्य नारी शक्तियाँ विशेष हैं जिन्होंने माँ भारती के सेवा में कोई कमी नहीं रहने दी।
सावित्री बाई फुले ने नारीशक्ति को शिक्षित कर ही उन्हें माँ भारती के सेवा में सक्षम बनाकर अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया और इस प्रकार भारत देश समृद्ध होता गया।
रानी लक्ष्मीबाई, रानी चिनम्मा,बेगम हजरत महल व सरोजिनी नायडू ने दुश्मनों को नाकों चने चबवाकर हमें स्वातंत्र्य अमृत का पान कराया।
ऐसी वीरांगनाओं को मेरा भी शत्! शत् ! नमन है।
जीवन के प्रफुल्लित होने के काल में माँ भारती के लिए प्राण समर्पित करने वाले वीरों को नमन
Raaz
वैसे वीरों को भी विस्मृत नहीं किया जा सकता जो जीवन प्रफुल्लित होने के काल में माँ भारती के लिए अपने प्राणों को समर्पित कर दिए,उन वीरों को भी मेरा शत् ! शत् नमन
भगत सिंह-> जन्म:-27 सितंबर 1907
-> मृत्युः- 23 मार्च 1931(मृत्यु के समय उम्र-24 साल)
उन महावीरों के नाम व मृत्युकालीन उम्र निम्नलिखित है :-
सुखदेव->जन्म:- 15 मई 1907
-> मृत्यु:-23 मार्च 1931(मृत्यु के समय उम्र-24 साल)
राजगुरु->जन्म:-24 अगस्त 1908
->मृत्यु:- 23 मार्च 1931(मृत्यु के समय उम्र-23 साल)
चंद्रशेखर आजाद-> जन्म:-23 जुलाई 1906
-> मृत्यु:- 27 फ़रवरी 1931(मृत्यु के समय उम्र-27 साल)
खुदीराम बोस-> जन्म:- 3 दिसंबर 1889
-> मृत्यु :-11 अगस्त 1908(मृत्यु के समय उम्र-19 साल)
जन्म व काल प्राप्ति तिथि-गूगल साभार
क्या हम आज ऐसी कल्पना तक कर सकते हैं कि समस्त संसार के कल्याणार्थ अपने प्राणों का होम तक कर सकते हैं ?
क्या हमने इस तिरंगे को आसमाँ पे शान से लहराने के लिए किए गए सभी संघर्षों को लगभग विस्मृत नहीं कर दिया,आइए उन्हें स्मरण करने को एक प्रयत्न मात्र तो किया ही जाए,इस तिरंगे को,हमारी आन-बान-शान को मेरे तुच्छ भावपुष्प समर्पित करने का प्रयत्न करता हूँ:-
आसमाँ पे शान से फिर आज लहराए तिरंगा।
हर गली के हर घरों में आज फहराए तिरंगा।
हिन्द के जो प्राण में है प्यार से कहते सभी हैं,
कंटकों में है सदा लड़ना ये सिखाए तिरंगा।
वीर गाथा गुनगुनाकर याद उनकी ये दिलाता,
मान जो है जान अपनी और कहलाए तिरंगा।
शौर्य यश का है जगत में और शान्ति यही बताता,
तेज ऐसा है अलौकिक मन हमें भाए तिरंगा।
जब भी नभ में उड़ता दिखता खूब सुन्दर ये लगे,
नमन करता सदा हूँ जो मन को हर्षाए तिरंगा ।
भारत भूषण पाठक'देवांश'🙏🌹🙏
कुछ आवश्यक प्रश्न
प्रश्न १:- काव्य किसे कहते हैं तथा इसके मुख्यतः कितने प्रकार होते हैं ?
उत्तर-मनोभावों के अनुसार अंतस से प्रस्फुटित भाव को काव्य कहते हैं तथा काव्य मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं ।
प्रश्न २:-छंदमुक्त काव्य से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- काव्य की वह विधा जिसमें मनोभावों को व्यक्त करने के लिए निश्चित नियम व विधान की बाध्यता न हो,छंदमुक्त काव्य कहलाती है।
प्रश्न ३ :-मुक्तक के विधान को स्पष्ट करें ?
उत्तर-छंदबद्ध काव्य लेखन की वह विधा जिसमें सृजन को सममात्राभार के साथ प्रस्तुत किया जाता है तथा जिसमें पहली,दूसरी व चौथी पंक्ति तुकांत तथा तीसरी पंक्ति अतुकांत रखी जाती है,मुक्तक कहलाती है।
प्रश्न ४:-धनुषाकार वर्ण पिरामिड के विधान को स्पष्ट करें ?
उत्तर-यह वर्णों पर आधारित चौदह पंक्तियों वाली काव्य लेखन की एक जापानी विधा है।
इसमें काव्य सृजन के समय प्रथम पंक्ति में १ वर्ण,द्वितीय पंक्ति में २,तृतीय पंक्ति में ३,चतुर्थ पंक्ति में ४,पंचम पंक्ति में ५,छठी पंक्ति में ६,सातवीं पंक्ति में ७,आठवीं पंक्ति में पुनः ७,नवीं पंक्ति में ६,दसवीं पंक्ति में ५,ग्यारहवीं पंक्ति में ४,बारहवीं पंक्ति में ३,तेरहवीं पंक्ति में २,चौदहवीं पंक्ति में पुनः १ वर्ण रखने का विधान है।
प्रश्न ५:- धनुषाकार वर्ण पिरामिड लेखन में विशेषतः किस बात का ध्यान रखना होता है ?
उत्तर- इसे लिखने के समय मुख्यतः इस बात का ध्यान रखना होता है कि इसकी सभी पंक्तियां अपने में संपूर्ण होती हैं यानि पहली पंक्ति का संबंध दूसरी तथा तीसरी का चौथी इस प्रकार आगे का कोई प्रावधान नहीं है।
प्रश्न ६:-आधुनिक कवियों द्वारा किस काव्य लेखन को अधिक पसन्द किया जा रहा है और क्यों ?
उत्तर- आधुनिक कवियों द्वारा तुकबंदी आधारित या रहित नूतन काव्य लेखन को इसलिए पसंद किया जा रहा है क्योंकि इसमें विधान की कोई बाध्यता नहीं होती है।
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