संदेश

"एक पातिव्रत की अद्भुत कहानी: एक पतिव्रता सावित्री"

चित्र
"  एक पातिव्रत की अद्भुत कहानी : वट सावित्री" पर्वों के देश इस भारतवर्ष में पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक अद्भुत कहानी पातिव्रत की प्रसिद्ध है जिसे "वट सावित्री" के नाम से जाना जाता है। क्यों मनाई जाती है "वट सावित्री"  पौराणिक मान्यताओं के अनुसार,राज्य से निर्वासित द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान को तत्वज्ञानी, राजर्षि अश्वपति की पुत्री सावित्री ने उस समय पति रूप में वर लिया,जब वह अपना वर ढूँढने जा रही थी। विवाह  के समय आकर देवर्षि नारद ने सावित्री से उसके भावी पति के अल्पायु होने की बात कही,फिर भी उसने यह कहकर टाल दिया कि मन से वरण पश्चात ये मेरे प्राणवल्लभ हो चुके हैं,अब मैं विवाह प्रस्ताव अस्वीकार नहीं कर सकती।उसके बाद सावित्री और सत्यवान का विवाह हुआ जिसके पश्चात वह अपने पति,सास-श्वसुर के साथ ही वन की कुटिया में रहने लगी। सत्यवान आज्ञाकारी पुत्र,धर्मपरायण व शील गुण से युक्त थे।नित्य वन में जाकर लकड़ी काट,उसका प्रयोग यज्ञादि में कर वे जीवनयापन करते थे। Nahin punarvichar ho :karma-dharma shrestha ho सत्यवान का मृत्युकाल व सावित्री का हठ देवर्षि नारद के कथ...

"नहीं पुनर्विचार हो : कर्म-धर्म श्रेष्ठ हो"

चित्र
  पुनर्विचार नहीं,कर्म करें लक्ष्य प्राप्ति के लिए कर्म करना ही आवश्यक है, उस पर पुनर्विचार नहीं। कर्म-धर्म को ही जब श्रेष्ठ माना जाए तो सफलता की प्राप्ति होती है। लक्ष्य की सफलता-असफलता कर्म की श्रेष्ठता पर ही निर्भर है। व्यर्थ चिंतन से उत्तम, अपने लक्ष्य का सार्थक विश्लेषण है। आज की युवा पीढ़ी भाग्यवादी होने के कारण अपने लक्ष्य से भटक जा रही है। उनके भाग्यवादी होने के खण्डन करने के लिए उन्हें समझाते हुए कि अभीष्ट की प्राप्ति किये गये श्रम के आधार पर न होती है, न कि भाग्य अनुसार, मैंने यह छंदयुक्त लेख लिखने का प्रयत्न किया है। एकाग्रता का अभाव: लक्ष्य प्राप्ति में बाधक अभीष्ट की प्राप्ति करने के लिए मन का एकाग्र होना  अति आवश्यक है।मन की चंचलता हमारे अभीष्ट प्राप्ति  में बाधक सिद्ध हो सकती है। आज की युवा पीढ़ी में एकाग्रता के अभाव का एकमात्र कारण भौतिक सुविधाओं व आनंद प्राप्ति के विकल्पों की बहुलता है। वह अपने लक्ष्य पर केंद्रित होकर प्रयत्न तो अवश्य करता है,परन्तु इन भौतिक सुविधाओं के कारण विपथित हो जाता है। Prabal chah hogi kuchh rachoge एकाग्रचित होना अभीष्ट प्राप्ति ...

"हिन्दी पत्रकारिता : उदन्त मार्तण्ड की सृष्टि"

चित्र
"उदन्त मार्तण्ड से आधुनिकता की ओर पत्रकारिता" "पत्रकारिता वह माध्यम है जिसके कंधे पर एक राष्ट्र की उम्मीद टिकी होती है। इसी उम्मीद को बनाए रखने का कार्य हिन्दी पत्रकारिता करती आई है।  उदन्त मार्तण्ड से लेकर आधुनिक पत्रकारिता का आइए अवलोकन करें।" " उदन्त मार्तण्ड :पत्रकारिता के अंकुरण का युग" आततायी अँग्रेज़ों के शासनकाल में कलकत्ता में अंकुरित होने वाला यह साप्ताहिक पत्र भारतवासियों को भगवान भास्कर की भांति ही जगाने का प्रयत्न कर रहा था। ३० मई १८२६ ई० को आज से लगभग १९८ वर्ष पहले कानपुर से आए पं० जुगल किशोर शुक्ला के कर-कमलों से सुवासित होने वाला यह समाचार पत्र अपने-आप में अनूठा व सशक्त था, जिसकी भाषा शैली से अंग्रेज़ी सरकार की नींव हिल गयी थी। Rangamanch hai ye duniya ek abhinay manch bdi hai. "उदन्त मार्तण्ड की विशेषताएं" उन दिनों हर मंगलवार को निकाला जाने वाला यह साप्ताहिक पत्र देवनागरी लिपि में लिखा जाने वाला एकमात्र ब्रज और खड़ीबोली के मिश्रित रूप प्रयोग वाला पत्र था,जिसमें विभिन्न नगरों के सरकारी क्षेत्रों की विभिन्न गतिविधियों के साथ-साथ ...

"चुनावी पकौड़े : हज़ूरों के शौक-ए-ज़ाइका"

चित्र
" चुनावी पकौड़े : हज़ूरों के शौक-ए-ज़ाइक़ा मूसलाधार चुनावी बारिश के मौसम में, चुनावी पकौड़े तलना हज़ूरों के शौक-ए-ज़ाइक़ा का अद्भुत और ज़ाइक़ेदार प्रयोग है।   अरे! ध्यान से कहीं ज़ाइक़ा न बिगड़े ! प्रस्तावना    जिसने कभी एक ग्लास पानी भी न पूछा हो,वही व्यक्ति जब आपके सुख-दुख बाँटने को लालायित(अत्यंत इच्छुक)दिखे,जगह-जगह और माध्यम-माध्यम से आपको राष्ट्र के प्रति ,विशेषकर आधुनिक जननायकों के प्रति, आपके कर्तव्यों का बोध कराया जाता है तथा जनसभाएं होती रहती है़ं,तो विद्वत समाज को यह समझना चाहिए कि आज गरमा-गरम पकौड़े अवश्य तले जाएंगे, जो चुनावी हैं।  इसे महोत्सव की संज्ञा देना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि चहुंओर आधुनिक जननायकों को बरसाती मेंढकों की तरह सबके घरों,सड़कों,सोशल मीडिया इत्यादि में टर्राते हुए देखा जा सकता है।   रेसिपी इन लजीज पकौड़ों को बनाने की भई पकौड़े तो सभी ने घरों में बनवाकर बहुत खाए होंगे-एक से एक ज़ाइकेदार,मसालेदार,लजीज व हर दिल अजीज।पर इस पकौड़े की तो बात ही कुछ और है,हो भी क्यों न! मामूली थोड़े ही हैं ये पकौड़े और इस बनाने-बाँटने वा...

लाँघ गये सागर हनुमंता(Shri Rambhakti ki vilakshan gatha)

चित्र
  लाँघ गये सागर हनुमंता (Shri Rambhakti ki vilakshan gatha) जब श्रीराम व समस्त वानर सेना लंका के इस पार पहुंचे तो समक्ष सागर देखकर जब सभी चिंतित हो गए तब-सागर"लाँघ गए  हनुमंता"। प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त माने जाने वाले भक्त शिरोमणि हनुमान जी  ने समक्ष सागर देखकर भी श्रीराम के काज को सफल करने के लिए गहरे सागर को भी लाँघ दिया। श्रीरामचरित्रमानस के अनुसार बाल्यकाल में अपने उग्र स्वाभाव के कारण जब उन्होंने आश्रम में यज्ञ-हवन करने वाले मुनियों को अपने आत्ममुग्ध गुणों से परेशान किया तो उन्होंने उन्हें अपनी उन शक्तियों को भूल जाने का शाप दे दिया, जो उन्हें विभिन्न देवी-देवताओं से वरदान स्वरूप प्राप्त हुआ था। परन्तु, उनके जन्म के उद्देश्य को समझकर उन मुनियों ने  उनके शाप निवारण का यह उपाय बताया कि किसी के याद दिलाने पर  उनकी सारी शक्तियाँ रामकाज हेतु पुनः प्राप्त हो जाएगी। Matri shaktiye namah phhir danav dal sanhaar karo. भक्ति शिरोमणि हनुमान और उनकी विलक्षण शक्तियाँ अष्ट सिद्धियों व नव निधियों के दाता बजरंगबली जी के पास निम्नलिखित सिद्धियां व निधि...

कोयला खनिक दिवस (Coal miner's day)

चित्र
  कोयला खनिक दिवस (coal miner's day ) आज कोयला खनिक दिवस के अवसर पर उन सभी श्रमिक बंधुओं के लिए दो शब्द जिन्होंने जीवन के सम्पूर्ण ऊर्जा को हमें सुविधा देने को झोंक दिया है। क्यों मनाया जाता है यह दिवस ? किसी भी दिवस को मनाने या दिवस विशेष को याद करने के  पीछे हमारा कोई ना कोई उद्देश्य होता है।  किसी दिवस के पीछे संबंधित ऐतिहासिक घटनाएं होती हैं तो किसी के पीछे उस दिवस विशेष को मनाने का महत्व,इन्हीं दो विशेष कारणों पर दिवस विशेष का आयोजन निर्धारित है।  कभी-कभी तो यूँ ही प्रसन्नता के लिए भी लोग दिवस विशेष मना लिया करते हैं।  अब इस दिवस विशेष की यदि बात की जाय तो coal miner's day अर्थात कोयला उत्खनिक दिवस मनाने के पीछे हमारा ध्येय यह है कि इस जीवाश्म ईंधन को प्राप्त करने में लगने वाले प्राणियों को किस प्रकार की समस्याएँ आती हैं उनसे विश्व का परिचय कराया जा सके।  साथ ही मुख्य रूप से ४ मई को प्रतिवर्ष इस दिवस को मनाने के पीछे हमारा एकमात्र ध्येय कोयला खदानों में काम करने वाले लोगों की मेहनत और योगदान को सम्मानित करना है। इस दिन विभिन्न कार्यक्रमों और समारोह के ...