स्वर कोकिला का ९२ वर्ष की उम्र में निधन एक अपूर्णीय क्षति है जिसे संभवतः ही कोई पूर्ण कर पाए।
आज राष्ट्र स्वर कोकिला के मौण होने पर व्यथित है।
मेरी भी लेखनी स्वर कोकिला को भाव -पुष्प अर्पित करती है।
कुकुभ छंद :-
विधान-विधान-१६-१४ मात्रा पर यति कुल ३०मात्रा प्रति चरण,चरणान्त गुरु गुरु अनिवार्य तथा दो-दो चरण समतुकांत।स्वर कोकिला तुझे नमन है ,श्रद्धा अर्पित करता हूँ
शब्द नहीं ये मेरे केवल, भाव सुमन में धरता हूँ ।।
पंचतत्व में ओझल काया,मगर दिलों में रहती है।
नगमे तेरे इतने पावन,जल के जैसे बहती है।।
शोकाकुल होगा भी अंबर,कोकिला यहाँ मौन हुई।
मात भारती ये है कहती,बेटी मेरी गौण हुई।।
भारत भूषण पाठक'देवांश'🙏
१.क्या छंदबद्ध रचनाएं अधिक पठनीय होती हैं?
उत्तर-छंदबद्ध रचनाएं काव्य में प्राण फूंक देती हैं।
इससे काव्य में गेयता आ जाती है।
२.क्या छंद को सीखने में कठिनाई आती है?
उत्तर-छंद एक साधना है।किसी भी साधना में समय तो लगता ही है और साधना जब सरल हो तो साधना क्या !
३.छंद को सीखने में सुगमता कब होती है?
उत्तर-जब छंद के विधान व मात्राभार से आप परिचित हो जाते हैं तो इसे सीखने में सुगमता होती है।
४. क्या प्राचीनतम छंद फिल्मी गानों में प्रयोग किए गए हैं?
उत्तर-जी प्रत्येक छंदों का प्रयोग किसी ना किसी गाने में हुआ है,उदाहरणार्थ-मुहब्बत एक तिजारत बन गयी है सुमेरु छंद पर आधारित है।
साथ ही श्रीराम चंद्र कृपालु भजु मन भजन उडियाना छंद में है।
५ .क्या वार्णिक छंद व मात्रिक छंद में कुछ भिन्नता है?
उत्तर-बिल्कुल कुछ छंद वर्णों यानि अक्षरों पर आधारित हैं तो कुछ मात्राओं के आधार पर लिखे जाते हैं।
६ .वार्णिक व मात्रिक छंदों के कुछ उदाहरण रखें?
उत्तर-माता शब्द में दो वर्ण हैं तथा मात्राएं चार हैं।
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