मूलमंत्र


जीवन के मूलमंत्र को भूल  मनुष्य प्रगतिवादी नहीं आज अहंवादी हो गया है।

प्राचीनकाल में मनुष्यों में एक गुण यह होता था कि वह सुख-दुख को आपस में बाँटा करता था,आज वो अपने अहंकार के आवेश में है।
जीवन का मूलमंत्र यह है कि हम अहंवादी नहीं अपितु सहयोगी बन कर उभरें,दुख-सुख को पहले जैसा समझें।
हम अहंवादी ना हों,अपितु जीवन के मूलमंत्र सबका साथ सबका विकाश को हमें अपनाना चाहिए।

इसी भाव को ध्यान में रखकर मैंने यह छंदबद्ध सृजन किया है जो बहुत ही प्यारे छंद राधेश्यामी छंद में है।


राधेश्यामी छंद विधान:-32 मात्रा प्रति चरण,16-16 मात्रा पर यति,चार चरण दो चरण समतुकांत,चरणांत गुरु:-

मनुज-मनुज में प्रेम नहीं है,क्यों सबसे हरदम वैर करे।

पापकर्म वो करने पर भी,क्यों नहीं किसी से यहाँ डरे।।


अहंकार में फूला है जो,वो वहाँ एक दिन पिचकेगा।


झूठ बोलना धंधा जिसका,भूलकर तो कभी

हिचकेगा।।


नहीं पाठ को पूरा समझो,पढ़ाई तो अभी बाकी है।


अभी यहाँ है जो भी सीखा,मानो ये केवल झाँकी है।।


जीवन -पथ पर बढ़ते रहना,बस इतना हमको करना है।


तेजी से न भागना हमको,पग हौले-हौले धरना है।।


हौले-हौले बढ़ने वाले,सफल ही हमेशा होते हैं।


बिना सोचकर करते जो हैं,हरदम वो बैठे  रोते हैं।।

भारत भूषण पाठक"देवांश"🙏🌹🙏


१.क्या छंदबद्ध रचनाएं अधिक पठनीय होती हैं?

उत्तर-छंदबद्ध रचनाएं काव्य में प्राण फूंक देती हैं।

इससे काव्य में गेयता आ जाती है।


२.क्या छंद को सीखने में कठिनाई आती है?

उत्तर-छंद एक साधना है।किसी भी साधना में समय तो लगता ही है और साधना जब सरल हो तो साधना क्या !


३.छंद को सीखने में सुगमता कब होती है?

 उत्तर-जब छंद के विधान व मात्राभार से आप परिचित हो जाते हैं तो इसे सीखने में सुगमता होती है।

४. क्या प्राचीनतम छंद फिल्मी गानों में प्रयोग किए गए हैं?

 उत्तर-जी प्रत्येक छंदों का प्रयोग किसी ना किसी गाने में हुआ है,उदाहरणार्थ-मुहब्बत एक तिजारत बन गयी है सुमेरु छंद पर आधारित है।

साथ ही श्रीराम चंद्र कृपालु भजु मन भजन उडियाना छंद में है।

५ .क्या वार्णिक छंद व मात्रिक छंद में कुछ भिन्नता है?

उत्तर-बिल्कुल कुछ छंद वर्णों यानि अक्षरों पर आधारित हैं तो कुछ मात्राओं के आधार पर लिखे जाते हैं।


६ .वार्णिक व मात्रिक छंदों के कुछ उदाहरण रखें?

उत्तर-माता शब्द में दो वर्ण हैं तथा मात्राएं चार हैं।

७. क्या राधेश्यामी छंद चौपाई छंद की भांति ही है?
उत्तर- हाँ इस छंद के विधान को कुछ देखा जाय तो यह कुछ सीमा तक चौपाई छंद की तरह दिखती तो है,पर इसमें भिन्नता है।























































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